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गेहूं की किस्म एचडी 3226 HD3236 आज तक की सबसे अच्छी गेहू की किस्म उत्पादन 60 क्यू / है

 गेहूं की किस्म एचडी 3226 HD3236  आज तक की सबसे अच्छी गेहू की किस्म उत्पादन 60 क्यू / है गेहूं की किस्म एचडी 3226 को पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान (कोटा और उदयपुर डिवीजनों को छोड़कर), पश्चिमी उत्तर प्रदेश (झांसी डिवीजन को छोड़कर), जम्मू और जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले, ऊना जिले वाले उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्र में व्यावसायिक खेती के लिए जारी किया गया है। और हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की पांवटा घाटी (तराई क्षेत्र) सिंचित, समय पर बुआई की स्थिति में है। उपज एचडी 3226 की औसत उपज 57.5 क्विंटल/हेक्टेयर है जबकि आनुवंशिक उपज क्षमता 79.60 क्विंटल/हेक्टेयर है।  गुणवत्ता पैरामीटर उच्च प्रोटीन सामग्री (12.8% औसत) उच्च शुष्क और गीला ग्लूटेन अच्छा अनाज उपस्थिति, उच्च अवसादन मूल्य, उच्च निष्कर्षण दर, औसत जिंक सामग्री 36.8 पीपीएम एचडी 3226 में उच्चतम ब्रेड गुणवत्ता स्कोर (6.7) और ब्रेड लोफ वॉल्यूम के साथ परफेक्ट ग्लू-1 स्कोर (10) है जो विभिन्न अंतिम उपयोग वाले उत्पादों के लिए इसकी उपयुक्तता को दर्शाता है। रोग प्रतिरोध पीला, भूरा और काला रतुआ के प्रति अत्यधिक प्रतिरोधी करनाल बंट, ख़स्ता ...
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भाकृअनुप-डीआरएमआर द्वारा विकसित राई-सरसों की किस्में

  पहली सीएमएस आधारित संकर (एनआरसीएचबी-506) और भारतीय सरसों की 08 किस्में (एनआरसीडीआर-02, एनआरसीडीआर-601, एनआरसीएचबी-101, डीआरएमआरआईजे-31, डीआरएमआर-150-35, डीआरएमआर-1165-40, डीआरएमआर-16-38 डीआरएमआर-2017-18 ) पीली सरसों की एक किस्म (एनआरसीवाईएस 05-02) डीआरएमआर द्वारा विकसित की गई हैं।

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isabion | syngenta |voliam flexi dose | #syngenta #isabion #voliamflexi #crop_care

Isabion syngenta | syngenta |voliam flexi do ise |  #syngenta   #isabion   #voliamflexi syngenta isabion and voliam flexi यह एक प्रकार जैव उत्प्रेरक है ये पौधों के लिए बहुत ही जरूरी है। ये पोधे क़ी जडों व बहारी वृद्धी को बडा ता है जिससे पौधों की वृद्धि बनी रहती है *इसके कुछ फायदे निम्न हैं। जैसे की पौधे की वृद्धि को बडना।  पौधे में पोषक तत्वों की कमी को पूरा करना। पौधों को रोगों से लडने की शक्ति प्रधान करना। पीछे में पानी की मात्रा बनाये रखना व पानी का सही प्रयोग । सभी फसलों में गुणवता बडाना । थानों की चमक व भण्डारण क्षमता को बड़ना।  उत्पाद में पोषक तत्वों को बनाए रखना।  IsabiON को निम्न फसलों में प्रयोग किया जा सकता हैं। फल वाली फसलें।       -   आम केला ,अमरूद, अंगूर, सेब, अनाज वाली फसलें- गेहूं जो बाजरा,चावल,मक्का,ज्वार, दलहनी व तिलहनी फसलों में- सोयाबीन,तील,सरसों,मूंगफली,आदि सभी मसाले वाली फसलों में  सभी पौधों के साथ साथ आप इसको अपने घर पर लागे पौधों पर भी प्रयोग कर सकते हैं। कुछ महत्वपूर्ण बाते जरूरत ध्यान रखे #फूस का ...

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गिलोय की रोजगारपरक खेती | महामारी कोरोना व डेंगू के उपचार के लिए गिलोय की महत्वमा | गिलोय का वानस्पतिक नाम टीनोस्पोरा कार्डियोकेलिया

वर्तमान परिपेक्ष्य में फैली महामारी कोरोना व डेंगू के उपचार के लिए गिलोय की महत्वमा बहुत अधिक बढ़ गई है। गिलोय की मांग अब लगातार बढ़ने की संभावनाओं को देखते हुए इसकी खेती आय वृद्धि के लिए एक सुगम उपाय है। गिलोय की औषधी महत्ता के संबंध में अब जनता जागरूक होने भी लगी है। महत्व एवं उपयोग: गिलोय का वानस्पतिक नाम टीनोस्पोरा कार्डियोकेलिया है। यह एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है एवं इसे भिन्न-भिन्न भाषाओं में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। इसे हिन्दी में गिलोय, संस्कृत में अमृता तथा आयुर्वेद भाषा में गुडुची, चक्रांगी आदि नामों से जाना जाता है। इसे ज्वर की महान औषधी माना गया है जो एक बहुवर्षीय लता है। गिलोय में 15.8 प्रतिशत फाइबर, 4.2-11.2 प्रतिशत प्रोटीन, 60 प्रतिशत कार्बोहाईड्रेट तथा 3 प्रतिशत वसा पायी जाती है। गिलोय को डेंगू, बर्ड लू, अचानक बुखार, सर्दी, खांसी, बदन दर्द, स्वाइन फ्लू, मूत्र संबंधित बीमारियाँ, कुष्ठ रोग, फाइलेरिया (हाथीपाँव), गठिया संबंधित बीमारियाँ, लीवर विकार संबंधित बीमारियाँ, पीलिया तथा बवासीर आदि के उपचार में उपयोग में लिया जाता है।   जलवायुः  यह उष्ण तथा उपो...

फसलों में जैव उर्वरक का महत्व एवं उपयोग

फसलों में जैव उर्वरक का महत्व एवं उपयोग फसलों में जैव उर्वरक का महत्व एवं उपयोग फसलों में जैव उर्वरक का महत्व एवं उपयोग फसलों का भरपूर उत्पादन बढ़ाने में नि:संदेह उन्नत किस्म के बीजों, रासायनिक, उर्वरकों, कीटनाशक व खरपतवारनाशक दवाओं, कृषि यंत्रों और सिंचाई साधनों का बड़ा ही महत्वपूर्ण योगदान विगत 4 दशकों में देखने में आया हैं,  लेकिन विशेषकर रासायनिक उर्वरकों के संतुलित उपयोग और कीटनाशक व खरपतवार नाशक दवाओं के अंधांधुध व अनियंत्रित उपयोग से आज न केवल हमारी जीवंत मिट्टी की उर्वरा शक्ति और उसकी फसल/वातावरण भी दूषित हो रहा है वरन् मिट्टी की उर्वरा शक्ति और फसल उत्पादन क्षमता पर अवांछनीय प्रभाव देखा जा रहा है तथा हमारे चारों ओर फैला पर्यावरण/वातावरण भी दूषित हो रहा है।  मिट्टी में प्राकृतिक रूप से पाये जाने वाले लाभकारी सूक्ष्मजीवाणुओं और बड़े जीव जंतुओं की संख्या व उनकी क्रियाशीलता में कमी देखी जा रही है।...   रबी फसल में पाले से बचाव के उपाय पाला किसी प्रकार की बीमारी न होते हुए भी विश्वकृ विभिन्न फसलों, सब्जी, फूल एवं फलोत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।...